तेजी से बदलती दुनिया और Future-Ready Education का सपना
- Jyotish Khanna
- 9 जून
- 4 मिनट पठन
बदलती दुनिया और शिक्षा की जरूरत
दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और हम इसकी कल्पना नहीं कर पा रहे। भारत में तो बिल्कुल नहीं, कि किस स्पीड से इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी, मार्केट सब बदल रहे हैं। जो मैं दस साल बाद देख रहा हूँ, उसे इंडिया अभी खासतौर पर underestimate कर रहा है। हमें लगता है ज्यादा कुछ नहीं बदलेगा, सब वैसा ही रहेगा। लेकिन यकीन मानिए दोस्तों, दस साल बाद चीजें बहुत बदल जाएंगी। युवाओं को अलग skills की जरूरत होगी, जो हमारा education system और स्कूल्स नहीं दे पा रहे।
आज बच्चों के mind structure में भी गजब बदलाव आ गया है। बदलता पर्यावरण, genes, environment इसकी वजह हैं। दो-तीन प्रतिशत बच्चे autistic हैं, नौ-दस प्रतिशत ADHD हैं। मैं ये नहीं कहता कि पहले ये नहीं था। पहले भी ये रहा होगा, लेकिन आज awareness की वजह से हम autism और ADHD की बात कर रहे हैं। पर ये तय है कि आज का mind ज्यादा complex है।
बच्चों की बदलती जरूरतें
Parents बच्चे तो कर रहे हैं, लेकिन working होने की वजह से समय नहीं दे पाते। Overage में बच्चे हो रहे हैं, पैंतीस साल से ऊपर mothers को, जो autism की संभावनाएं बढ़ाता है। चीजें और भी बदल रही हैं। पढ़ाने का तरीका, बच्चों से डील करने का तरीका। पहले बच्चों की पिटाई आम थी, आज हम हाथ भी नहीं उठा सकते। मैं ये नहीं कहता कि पहले पिटाई सही थी। पिटाई का मतलब है बच्चे को समझे बिना सजा देना।
मान लो एक बच्चा ADHD है, तो वो शरारती होगा, टिककर नहीं बैठेगा। हम अपनी frustration उस पर निकालते हैं, कहते हैं मारो तभी सुधरेगा। ये कहाँ का न्याय है? उसे sensory stimulation चाहिए, इसीलिए वो भटकता है। हो सकता है मार से भी उसे stimulation मिले, और वो और needy हो जाए। विज्ञानिक दृष्टि से ये संभव है।
actual में उसकी problem कुछ और है, और हम उसे दंडित कर रहे हैं। हमें बच्चों की जरूरतों, समस्याओं को समझना होगा, न कि उन्हें सजा देनी। उनकी specific needs को पूरा करने के तरीके ढूंढने होंगे, ताकि वो स्वस्थ और balanced तरीके से बढ़ें।
भविष्य की शिक्षा: नई चुनौतियाँ, नए समाधान
कुल मिलाकर, सब कुछ तेजी से बदल रहा है। दस साल बाद आज का education और methods कितने काम आएंगे, ये बड़ा सवाल है। जिस education को हम serious ले रहे हैं, हो सकता है उसकी जरूरत ही न रहे। पुराने जमाने में learning और calculation important skills थीं। आज डेटा स्टोरेज devices हैं, learning required ही नहीं। आज डेटा retrieve, compare, analyze करना आना चाहिए। Calculation अब challenge नहीं, टेक्नोलॉजी ने सब आसान कर दिया। आज challenge है नए formulas बनाना, complex problems solve करना।
जो चीज इंसानियत करती है, वो मशीन टेकओवर कर लेगी। पहले content writers, mathematicians की डिमांड थी, आज AI और सॉफ्टवेयर हैं। जिस चीज की डिमांड ज्यादा है, मशीन उसे डेटा से सीख लेती है। लोग skilled jobs करते हैं, मशीन उनके patterns सीखकर वही करने लगती है। जब दुनिया research, comparison, analysis करेगी, तो AI भी वो सीख लेगी। मशीन इंसान से डेटा लेकर trained होती है। रोटी बनाना, Stuart, झाड़ू-पोछा, ड्राइविंग—सब मशीन सीख गई।
तो भविष्य क्या है? अभी तो research इंसान कर सकता है। लेकिन मैंने Grok XAI यूज किया, उसने research में बहुत help की। AI एक tool, एक support की तरह इंसान के साथ है। Grok XAI, ChatGPT जैसे tools डेटा research करके दे देते हैं। आज youth को इन्हें चलाना और इनसे काम लेना सीखना चाहिए। कई लोग कहते हैं ये tools नहीं सीखने चाहिए, मैं कहता हूँ इनका productive use important है।
Smarto Experiential School: एक नया दृष्टिकोण
स्कूल्स अभी rigid हैं, नई चीजें अपनाने में। इसलिए Life Foundation फ्यूचर-ready education पर काम करता है, जो बीस साल बाद भी काम आए। ऐसा education develop करना tough है, बहुत चिंतन चाहिए। Smarto Experiential School की team के साथ हम कोशिश कर रहे हैं कि फ्यूचर-oriented education बने, जो आम जन, गरीबों तक पहुंचे।
Smarto Experiential School क्यों? क्योंकि ये मेरा childhood dream था। मैं Life Foundation का secretary और Smarto Experiential School का founding member हूँ। मेरा सपना था ऐसा स्कूल जहां अमीर-गरीब का भेदभाव न हो, जहां individual differences को समझा जाए। मैं खुद autistic child रहा, undiagnosed। हाल में research से पता लगा कि मेरे अंदर autism के symptoms हैं। Special children की needs अलग होती हैं। हम normal हैं, लेकिन ADHD, autistic, dyslexic बच्चों को समाज का system समझने में stress होता है।
ये mental stress मेरे childhood में भी था। वहीं से inspiration मिली कि ऐसा स्कूल हो जहां बच्चे enjoy करें, फ्यूचर की बात करें, experiential knowledge लें। मैंने experiential knowledge पर research किया, और 2022 में Smarto Experiential School शुरू किया।
चुनौतियाँ और समाधान
ये future-oriented स्कूल है, लेकिन इसे चलाने का खर्च बहुत ज्यादा है। हम rural area में हैं, जहां parents हजार-दो हजार से ज्यादा फीस नहीं दे सकते। हमें low teacher-student ratio रखना पड़ता है, हर बच्चे पर focus करना पड़ता है, individual differences देखकर counseling और practical, experiential education देना पड़ता है।
Struggle is part of life, और हम रास्ते ढूंढ रहे हैं। हम justified फीस लेते हैं, लेकिन कुछ parents को वो भी ज्यादा लगती है। Life Foundation के जरिए हम scholarship देते हैं, CSR funds और donations से। हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारे स्कूल Finland, China, Australia, America की quality से compete करें। बहुत पीछे हैं, बहुत दूर जाना है।
आपका सहयोग चाहिए, जितना बन पाए कीजिए।
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